Sunday, September 7

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के तीन वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय फखरूद्दीन अली अहमद अवार्ड-2019 से सम्मानित किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के 92वाँ स्थापना दिवस के अवसर पर यह अवार्ड इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित शहीद गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, जगदलपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अदिकांत प्रधान, कृषि विज्ञान केन्द्र, बस्तर के प्रभारी डॉ. संतोष नाग तथा कृषि महाविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिक डॉ. अभिनव साव को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। कृषि वैज्ञानिकों को यह अवार्ड आदिवसी क्षेत्रों के कृषकों से जुड़ी समस्याओं को सूचीबद्ध करने, उनका निराकरण करने एवं कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रदान किया गया।


उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विगत 10 वर्षों से बस्तर संभाग के आदिवासी क्षेत्रों के कृषकों से जुड़ी समस्याओं को सूचीबद्ध करने का कार्य किया जा रहा है, जिसमें कम उत्पादन देने वाली स्थानीय किस्मों को कृषकों द्वारा लगाया जाना, कृषकों द्वारा बिखरे हुए रूप में कृषि कार्य करना, मुख्य कृषि कार्यों के समय कृषकों का मजदूरी हेतु पलायन करना मुख्य समस्याएं थीं। इन समस्याओं के निराकरण हेतु वैज्ञानिकों द्वारा कृषि की नवीन तकनीकों, फसलों की उन्नत किस्मों का अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, फसल पद्धति, खरपतवार प्रबंधन, कृषि में ऊर्जा प्रबंधन व वैकल्पिक भू-उपयोग जैसे कार्यों का अनुसंधान कर कृषकों के खेतों में तकनीकी हस्तांतरण योजनाबद्ध तरीके से किया गया एवं समय-समय पर कृषक दिवस, प्रक्षेत्र दिवस जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया जिसके परिणाम उत्साहवर्धक थे। वर्षा जल संग्रहण, जल प्रबंधन एवं सूखा निरोधक फसल एवं किस्मों का विकास एवं प्रसार भी किया गया। उचित फसल व्यवस्था व सघन कृषि को बढ़ाने हेतु अंतरवर्ती व द्विफसलीय कृषि को प्राथमिकता दी गई जिसके फलस्वरूप जलवायुवीक दशाओं के अनुरूप फसल उत्पादन को बढ़ावा दिया गया जिससे कृषकों की आय में वृद्धि हुई।
10 वर्षों के अनुसंधान कार्य में आदिवासी अंचल के परंपरागत फसल जैसे-कोदो, कुटकी एवं रागी की वीन किस्में, कम समय में पकने वाली एवं विपुल उत्पादन देने वाली किस्मों का विकास किया गया।

इन किस्मों को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदित किया गया है। इन फसलों के बीजोंत्पादन पर विशेष ध्यान दिया गया जिसमें कृषकों के खेतों पर वृह्द पैमाने पर उन्नत प्रजातियों के बीजों का उत्पादन किया गया जिससे क्षेत्र में इन फसलों के रकबे में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी हुई। बीजोंत्पादन से कृषकों के आमदनी में वृद्धि हुई। बस्तर में उत्पादित उन्नत प्रजाति के बीजों का वितरण देश के अन्य राज्यों में किया गया। इस अनुसंधान कार्य के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में पाये जाने वाले खरपतवारों को सूचीबद्ध कर वीड एटलस भी बनाया गया। इस राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वाले समस्त वैज्ञानिकों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।

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