शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है. व्यक्ति अगर अच्छे कर्म करता है, तो उसे अच्छे फलों की प्राप्ति होती है. वहीं, बुरे कर्म करने वालों के जीवन में समस्याएं उसे घेरे रहती हैं. चाणक्य नीति में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर ही उसे इस जन्म में कर्म भोगने पड़ते हैं. आचार्य चाणक्य का कहना है कि पिछले जन्म में किए गए पुण्य के कारण ही व्यक्ति को इस जन्म में सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं. अक्सर लोगों को ख्वाहिशें करते देखा होगा कि वे भी अपना जीवन शाम से जीएं. शानौ-शौकत के साथ जीवन बिताएं. लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा जीवन किन लोगों को नसीब होता है? पिछले जन्म में कैसे पुण्य काम करने पर लोगों को शानौ-शौकत से भरा जीवन मिलता है. आज हम आपको ऐसे ही 5 सुखों के बारे में बताएंगे जो हर किसी के नसीब में नहीं होते.
अच्छा खाना
चाणक्य नीती में बताया गया है कि लाइफ में अच्छा खाना मिलना अच्छी जिंदगी की निशानी है. लेकिन हर किसी को नसीब नहीं होता. चाणक्य का कहना है कि ये सिर्फ भाग्यशाली लोगों को ही नसीब होता है. ये इन लोगों के पिछले जन्मों के पुण्य कर्म होते हैं, तो इस जीवन में अच्छा भोजन पाते हैं.
पाचन क्षमता
सिर्फ अच्छा खाना मिलना ही सब कुछ नहीं होता. बल्कि खाने के साथ उसे पचाने के क्षमता होना भी जरूरी है. अक्सर लोगों को अच्छा भोजन तो नसीब हो जाता है, लेकिन पाचन शक्ति खराब होने के कारण वे उसे एंजॉय नहीं कर पाते. ऐसे में भोजन खाने के बाद वे बीमार पड़ जाते हैं. चाणक्य नीति के अनुसार अच्छी पाचन शक्ति वाले लोगों को भी भाग्यशाली ही माना गया है.
अच्छा जीवनसाथी
चाणक्य का कहना है कि अच्छा गृहस्थ जीवन तभी सही गुजरता है जब गुणवान और समझदार जीवनसाथी का साथ हो. ऐसे में ये सिर्फ उन्हीं लोगों को नजीब होता है, जिन्होंने पिछले जन्म में पुण्य कर्म किए होते हैं.
धन का सही इस्तेमाल
चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति का सिर्फ धनवान होना ही जरूरी नहीं होता. बल्कि उसे धन का सही से इस्तेमाल करना भी आना चाहिए. मां लक्ष्मी भी उन्हीं लोगों के पास ठहरती हैं, जो लोग उनका सम्मान करते हैं. ऐसे में चाणक्य का कहना है कि धन का सही इस्तेमाल पिछले जन्म में अच्छे कर्म वाले लोग ही कर पाते हैं.
दान देने की आदत
अक्सर लोगों के पास धन तो खूब होता है, लेकिन किसी की मदद करने या दान करने का स्वभाव नहीं होता. जबकि कहा जाता है कि दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. व्यक्ति के अंदर ये गुण पिछले जन्म में किए गए कर्मों के आधार पर ही आता है.
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