Thursday, December 11

  • परिवहन विभाग के आरक्षक एवं महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक के खिलाफ निलंबन एवं निष्कासन की छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने की अनुशंसा
  • आतंरिक परिवाद के सदस्यों को किया गया तलब
  • आयोग की सिफारिश पर बच्चियों के लिए दादा ने 3 हजार रूपये प्रतिमाह देने पर जताई सहमति  

    बिलासपुर । छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा. श्रीमती किरणमयी नायक द्वारा आज प्रार्थना भवन में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई के दौरान एक आवेदिका द्वारा शिकायत की गई, कि परिवहन विभाग में कार्यरत अनावेदक उसके पति शासकीय कर्मचारी है, जो शादीशुदा होने के बावजूद अन्य महिला के साथ अवैध संबंध में है। समस्त दस्तावेजों की जांच के उपरांत महिला आयोग द्वारा अनावेदक शासकीय कर्मचारी एवं संबंधित महिला के विरूद्ध सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत् विभागीय जांच के साथ ही निलंबन और निष्कासन की अनुशंसा की गई है। आवेदिका की शिकायत पर उक्त प्रकरण की सुनवाई बिलासपुर में की गई। आवेदिका के पुत्र ने यह बात बताई है कि वह अपनी दादी के साथ स्वयं बलौदाबाजार में रहता है एवं उसके अन्य दो भाई बहन उस महिला पर्यवेक्षक के साथ रहते है। आयोग ने निर्णय दिया कि शासकीय सेवा में होने के बावजूद बिना तलाक लिए अनावेदक का यह कृत्य अवैध संबंधों को बढ़ावा दे रहा है। परिवहन विभाग के मंत्री एवं प्रमुख सचिव को पत्र प्रेषित कर विभागीय जांच एवं छ.ग. सिविल सेवा आचरण के तहत जांच के अनुशंसा की जाए। जांच तक निलंबित रखने एवं जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्त करने की अनुशंसा करने का पत्र भी प्रेषित किया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत अनावेदिका को आज जनसुनवाई में बुलवाने के बावजूद वो नहीं आई। उनके विभागीय मंत्री एवं सचिव को विभागीय जांच एवं छ.ग. सिविल सेवा आचरण के तहत जांच के अनुशंसा का पत्र प्रेषित किया जाए। जांच तक निलंबित रखने एवं जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की जाती है। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने कार्यस्थल पर  प्रताड़ना की शिकायत की। शिकायत में आवेदिका ने बताया कि उनकी शिकायत पर आंतरिक परिवाद समिति द्वारा अनावेदक का मात्र स्थानांतरण किया गया। जिससे आवेदिका ने अपर्याप्त मानते हुए आयोग के समक्ष आवेदन किया। आवेदिका एवं अनावेदक दोनों प्रतिष्ठित पद पर उच्चाधिकारी है। इस मामले में आंतरिक परिवाद समिति की अनुशंसा से आवेदिका के असंतुष्ट होने पर आवेदिका को एक बार पुनः अधिनियम 2013 कार्यस्थल पर प्रताड़ना की प्रकिया प्रारंभ करने और आयोग में आंतरिक परिवाद समिति की गठन की सूची भेजने कहा गया ताकि आयोग आंतरिक परिवाद समिति के सदस्यों को पूछताछ के लिए तलब कर सके। इसी प्रकार भरण-पोषण के प्रकरण में आवेदिका ने अपने अनावेदक ससुर के खिलाफ शिकायत की। जिसमें आयोग की सिफारिश पर बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अनावेदक ने जब तक उनका बेटा जेल से बाहर नहीं आ जाता तब तक 3 हजार रूपये प्रतिमाह देने पर सहमति जताई।  आज आयोजित सुनवाई में लगभग 23 प्रकरण रखे गये थे, जिनमें से 04 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गये। 07 नये प्रकरण पंजीबद्ध किये गये है। 17 प्रकरणों पर सुनवाई की गई। शेष प्रकरणों की सुनवाई अगली जनसुनवाई में की जायेगी।  
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